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बुधवार, 12 अगस्त 2020

Coronavirus vaccine: कोरोना वैक्सीन पर चीन ने भी दी खुशखबरी, जानें क्या हैं ताजा अपडेट्स

Coronavirus vaccine


चीन की सिनोवैक बायोटेक लिमिटेड ने मंगलवार को कोविड-19 वैक्सीन के ह्यूमन ट्रायल के अंतिम चरण की शुरुआत की है। इस वैक्सीन का ट्रायल इंडोनेशिया में 1620 मरीजों पर किया जा रहा है। यह वैक्सीन इंडोनेशिया की सरकारी कंपनी बायो फार्मा के साथ मिलकर बनाई जा रही है। इसके पहले सोमवार को सिनोवैक ने जानकारी देते हुए कहा कि ट्रायल के दूसरे चरण में वैक्सीन सुरक्षित पाई गई है और मरीजों में एंटीबॉडी आधारित इम्यून रिस्पॉन्स मिले हैं। कोरोनावैक नाम की यह वैक्सीन उन चंद असरदार वैक्सीन में से एक है जो परीक्षण के इस चरण तक पहुंची हैं। इनका अध्ययन करके इनके असर को लेकर सबूत जुटाए जा रहे हैं। 

कोरोनावैक का अंतिम स्तर का परीक्षण पहले से ही ब्राजील में चल रहा है और सिनोवैक को उम्मीद है कि इसका परीक्षण बांग्लादेश में भी किया जाएगा। सिनोवैक का इंडोनेशिया ट्रायल ऐसे समय में हो रहा है जब दक्षिणपूर्व एशिया का सबसे घनी आबादी वाला देश कोरोना संक्रमण के बढ़ते मामलों से जूझ रहा है। मंगलवार तक यहां एक लाख 27,000 से अधिक संक्रमण के मामले थे। इस ट्रायल के लिए फिलहाल 1215 लोगों को चुना गया है और यह छह महीने तक चलेगा। 

इंडोनेशिया के राष्ट्रपति जोको विडोडो ने कहा, 'जब तक सभी लोगों को वैक्सीन नहीं दे दी जाती कोविड-19 का खतरा नहीं टलेगा।' वेस्ट जावा के बंडुंग में ट्रायल के लॉन्च के दौरान उन्होंने कहा, 'उम्मीद है कि जनवरी में हम वैक्सीन बना पाएंगे और देश में हर किसी को दे भी पाएंगे।' 

बायो फार्मा और सिनोवैक के अलावा इंडोनेशियाई निजी कंपनी काल्बे फार्मा और दक्षिण कोरिया की जेनेक्साइन एक साथ मिलकर अलग वैक्सीन बना रही हैं। यह अब तक स्पष्ट नहीं है कि दोनों कंपनियां मिलकर वैक्सीन के कितने डोज बनाएंगी और कब तक बनाएंगी। 

सिनोवैक के मिड स्टेज या दूसरे स्टेज ट्रायल में चीन में 600 लोगों को वैक्सीन दी गई। ट्रायल में दूसरी वैक्सीन एस्ट्राजेनेका के मुकाबले यह वैक्सीन मरीजों का बुखार कम करने में कामयाब दिखी। दोनों वैक्सीन का रिव्यू किया जा रहा था। मिड स्टेज ट्रायल में आम तौर पर वैक्सीन की सेफ्टी और क्षमता को परखा जाता है कि यह इम्यून के लिए कैसे काम कर रही है। इस स्तर पर इसका परीक्षण कम लोगों में किया जाता है। यहां से पास होने के बाद आखिरी स्तर पर अधिक लोगों को यह वैक्सीन दी जाती है। स्टडी में पता चला है कि वैक्सीन बनाने में दो चरणों की प्रक्रिया एक चरण में वैक्सीन बनाने की प्रक्रिया से बेहतर होती है। इसमें अधिक इम्यूनोजीन पैदा होते हैं और इम्यून सिस्टम बेहतर करते हैं। 

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