विवाह(Marrige) स्त्री और पुरुष का कानून तथा संस्कृति द्वारा मान्यता प्राप्त संबंध है। भिन्न-भिन्न समाजों में विवाह का आधार भी अलग-अलग होता है। अब प्रश्न यह उठता है कि लोग विवाह क्यों करते हैं और विवाह की मुख्य विधियां क्या हैं?अधिकांश विवाह समारोहों में, रीति-रिवाजों, वर-वधू के बीच अनुबंध या इकरारनामे और उनके पारस्परिक अधिकारों तथा कर्तव्यों पर विशेष रूप से बल दिया जाता है। वर-वधू जीवन भर एक-दूसरे को पति-पत्नी के रूप में प्रेम करने तथा पारस्परिक ध्यान रखने के संकल्प लेते हैं। वे औपचारिक रूप से पति-पत्नी के रूप में रहने की सामाजिक तथा कानूनी मान्यता प्राप्त कर लेते हैं। अपने प्रण के प्रतीक के रूप में वे प्रायः मालाओं तथा अंगूठियों का आदान-प्रदान करते हैं।सामान्यत: यह आशा की जाती है कि पति-पत्नी के शारीरिक मिलन के परिणामस्वरूप बच्चे पैदा होंगे और इस प्रकार उनकी वंश बेल आगे बढ़ेगी। आमतौर पर विवाह दो प्रकार के होते हैं कानूनी विवाह (Civil Marrige) तथा माता-पिता द्वारा तय विवाह (Arranged Marrige)।
अधिक देशों में लोग अपनी पसंद से इन दोनों विधियों किसी एक को चुन लेते हैं। भारत में प्रायः विवाह आयोजन वधू के घर में होता है, जहां पंडित या परोहित के द्वारा विवाह की धार्मिक विधि को पूरा किया जाता है। इसके अतिरिक्त मंदिर, चर्च और गुरुद्वारे में भी विवाह संस्कार किए जाते हैं। यूरोप के उन देशों में जहां ईसाई धर्म का प्रभाव है, अधिकांश विवाह चर्च में पादरी द्वारा संपन्न कराए जाते हैं। वास्तविकता यह है कि न्यायालय में होने वाले विवाहों (Civil Marrige) के अलावा समाज में प्रत्येक धर्मानुयायी के विवाह संस्कार अलग-अलग विधियों से होते हैं और उनके नियम भी भिन्न हैं। भारत और एशिया के कुछ देशों में यह रिवाज है कि विवाह के समय वधू अपने साथ दहेज ले जाती है, जो दूल्हे के परिवार के लिए होता है। यह दहेज वधू के पिता की संपत्ति में होने वाले हिस्से या वधू द्वारा अर्जित धन के रूप में भी हो सकता है।
प्रायः लडके वाले लड़की वाले (अर्थात वधू) के परिवार से एक निश्चित धनराशि दहेज के रूप में तय कर लेते हैं। दहेज प्रथा एक अत्यंत हानिकारक प्रथा है।यद्पि कानून द्वारा इसे समाप्त कर दिया गया है। तथापि, वास्तव में यह अब भी चल रही है। इसके कारण बहुत से विवाहित दंपतियों का जीवन दुखी बन जाता है। कुछ वधुएं आत्महत्या कर लेती हैं या उन्हें मार दिया जाता है। इससे वर और वधू के परिवार वालों में शत्रुता हो जाती है।
भारत में अधिकतम विवाह वर-वधू के माता-पिता द्वारा तय किए जाते हैं। अब मैरेज ब्यूरो (Marrige Bureaus) या विवाह संबंध स्थापित कराने वाली संस्थाओं द्वारा भी यह कार्य किया जाने लगा है। शिक्षित समाज में सिविल मैरेज (Civil Marriage) प्रचलित होती जा रही है।अब समाज में स्त्रियों तथा विशेष रूप से विवाहित स्त्रियों की कानूनी स्थिति को पहले से अधिक महत्व मिलने लगा हैं। पश्चिमी देशों में विवाह का रजिस्ट्रेशन करवाना आवश्यक होता है। विवाह का अवसर हंसी-खुशी, गीत-नृत्य और पारिवारिक सदस्यों के मिलन का समारोह होता है।
अतिथि तथा मित्र नवदंपति के लिए उपहार लाते हैं और उन्हें सुखी वैवाहिक जीवन की मंगलकामना देते हैं। वर तथा वधू इस अवसर पर विशेष प्रकार की पोशाक पहनते हैं। वधू विशेष रूप से सोने-चांदी के चमकीले तथा मूल्यवान आभूषण पहनती है।
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