एक भाप के इंजन (Steam Lacomotive) में उसके ब्वायलर (Boiler) में भाप उत्पन्न होती है।
यह भाप इंजन को शक्ति देती है, जो पहियों को चलाती है। इंजन में कोयला जलाकर भाप कक्ष (Steam chamber) में भाप उत्पन्न की जाती है। जलते हुए कोयले से गर्म गैसे ब्वायलर की बगल से गुजरती हुई नलिकाओं (Tubes) द्वारा पानी को गर्म करती हैं, जिससे भाप बनती है। यह (वाष्प) नियंत्रक कपाट (Regulator valve) से गुजरती है जो ड्राइवर कक्ष (Driver cabin) से नियंत्रित की जाती है।
इसके बाद यह उससे भी अधिक गर्म (Superheated) अर्थात अतितापित की जाती है ताकि और अधिक दबाव उत्पन्न किया जा सके।
अत्यधिक दबाव वाली वाष्प मुषली कपाट (Piston valve) से गुजरती हुई, इंजन के सिलेंडर में प्रवेश करती है। सिलेंडर के अंदर भाप फैलती है और मुषली (Piston) को जोर से धक्का देकर उसे सिलेंडर की दूसरी ओर पहुंचा देती है। लोहे की अनेक मोटी छडों द्वारा मुषली की गति को इंजन चलाने वाले पहियों में स्थानान्तरित कर दिया जाता है | काम में आ चुकी वाष्प चिमनी से निकलकर हवा में विलीन हो जाती है। ब्वायलर से कुछ
भाप लेकर उसका उपयोग पूरी रेलगाड़ी के ब्रेकों (Brakes) को चलाने के लिए किया जाता है।
आज, भाप के इंजन की लोकप्रियता कम हो गयी है, क्योंकि विद्युत या डीजल से चलने वाले इंजन उसका स्थान लेते जा रहे हैं।
(How does steam rail engine work?,steam rail engine work in hindi.)
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